22 नवंबर, 2009

तुमारी माया मां


नेगी दा जाहिर है अपना ये ब्लॉग नेदा को समर्पित है । इस उम्मीद के साथ की यहाँ नेगी दा के सभी सुंनदर जुटेंगे. वो आवाज जो करीब ३ दशक से पहाड़ के जनमानस पर छायी हुई है , वो शख्स जो न सिर्फ़ हमारे हर दुःख दर्द हर्ष उल्लास को आवाज देता रहा बल्कि हमें (व्यक्तिगत तौर पर मुझे) पहाड़ी होने का अहसास भी कराता रहा हमारे ( मेरे) लिए पूज्य है .नेगी दा ने पहाड़ के बारे मैं क्या नही लिखा, गाया . अब वक्त की बारी है जो नेगी दा के बारे मैं लिखेगा, गायेगा.आख़िर नेगी दा एक जीता जागता इतिहास भी तो बन चुके हैं .
भावनाओ के ज्वार को यहीं पर रोक रहा हूँ आगे बात होती ही रहगी. हाँ एक और बात इस ब्लॉग को शुरु करने या इसे नेगी दा नाम देने से पहले हमने नेगी जी से कोई इजाजत नही ली.हम ऐसा कर भी नही रहें हैं आखिर इश्क इजाजत लेकर कब होता है वो तो इकतरफा होता है ख़ुद बा ख़ुद .ये मंच नेगी जी के ऐसे आशिकों का इजहार ऐ इश्क समझा जाय ।

संजीव कंडवाल