06 अप्रैल, 2010

या बी लडे़ लगीं राली


तुम भी सूणा, मिन सूणयाली
गढ़वाले ना कुमौ जाली उत्‍तराखंडे राजधानी बल देरादूणे मा राली
गिच्‍च त आई, घन बोल्‍याली
ऊन बोलण छो बोल्‍याली
हमन सुणन छौ सूण्‍याली
याबी लडे़ लगीं राली, लडे़ हमरी लगीं राली

राज से पैली राजधानी कै छे पर सरकार नी मानी गढ़वाले कुमौं क बीच
जनता न गैरसैण ठाणी
ठाण्‍याली त ठाण्‍याली
याबी लडे़ लगीं राली, लडे हमरी लगीं राली

नो बरसू मां सैकी जागी धन्‍या हो पंडजी पै लागी पैंसठ लाख रुपया खर्ची
देरादूण अब खोज साकी जनता क पैंसो क छर्वाली
याबी लडे़ लगीं राली, लडे हमरी लगीं राली

गैरसैंण बल भ्‍यूंचल की डैर
राजकाज बल कनक्‍वै हूण
सुध सुविधा कुभी नी छिन उख हमर छंद त देरादूण
अफसर नैतों न सोच्‍याली
याबी लडे़ लगीं राली, लडे हमरी लगीं राली


अलकनंदा, पिंडर नदी
नित बगणीन पाणी नी
गिच त आई बोलणा छी गैरसैंण बल पाणी नी यखे जल संपदा भैर जाली
याबी लडे़ लगीं राली, लडे हमरी लगीं राली

कांग्रेस भाजपा नी रैनी
गैरसैंण का हम का कभी
सड़क मा भी सत्‍ता मा भी यूकेडी बल जख तख मां
सरकार कब तक बौगा साराली
याबी लडे़ लगीं राली, लडे हमरी लगीं राली

तो उत्‍तराखंड की राजधानी आखिरकार देहरादून ही बनने जा रही है। राजधानी चयन के लिए गठिन दीक्षित आयोग की रिपोर्ट नौ साल बाद सरकार के हाथ में आ चुकी है। आयोग ने पूरे नौ साल में 65 लाख खर्च कर देहरादून को ही स्‍थायी राजधानी के काबिल पाया। गैरसैंण को आयोग ने इस तर्क (पढे़ कुतर्क) पर खारिज कर दिया है कि वहां सुविधा नहीं है, वहां पानी नहीं है ये बात और है कि यहां से पिंडर, अलकनंदा जैसी नदियां निकली हैं, जो गंगा में समाहित होकर दिल्‍ली तक की प्‍यास बुझाती है। नेगी जी ने अपनी हालिया रिलीज एलबम सल्‍याणा स्‍याली में इस विषय पर उपरोक्‍त गीत लिखा है, यह गीत इस एल्‍बम से ही साभार यहां प्रस्‍तुत किया गया है। आने वाले दिनों में इस मंच पर राजधानी के मसले पर विमर्श किया जाएगा, आप सब लोगों की टिप्‍पणियां का इंतजार रहेगा ।
संजीव कंडवाल

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