28 जून, 2010

जमीन की जंग

इन दिनों उत्तराखंड में जमीन की जंग छिड़ी हुई है. क्या सीएम क्या नेता प्रतिपक्ष और क्या मुख्य विपक्षी दल के नेता हर कोई अपनी अपनी जमीन बचाने के लिए लड़ाई लड़ रहा है. जी नहीं, ये महानुभाव कोई राजनैतिक जमीन के लिए नहीं लड़ रहे हैं बल्कि ये मामला तो करोड़ों के वारे न्यारे करने वाली जमीन का है. निशंक को उत्तराखंड का सीएम बने साल भर हो गया है. और भाई साहब पावर प्रोजेक्ट आवंटन में पहले ही फंस चुके हैं. साहब पर ताजा आरोप ऋषिकेश में स्टर्डिया कैमिकल की जमीन बेचने को लेकर लगे हैं. मामला कुछ यूं है कि करोड़ों की इस बेशकीमती जमीन को कुछ लाला टाइप आरएसएस से जुडे़ लोगों को बेच दिया गया. जिस कंपनी को ये जमीन बेची गई, उसमें भाजपा के पूर्व प्रदेश प्रभारी अनिल जैन भी भागीदार बताए जाते हैं. नियमानुसार इस जमीन को बेचना संभव नहीं था, फिर भी भाई निशंक ने एक ही दिन में जमीन के तमाम कागजात फाइनल कर डील पर मुहर लगा दी. अब विपक्ष कह रहा है कि इस डील में करोड़ों आर पार हो गए हैं. कुछ दिन ये मामला मीडिया में भी छाया रहा, लेकिन फिर निक्कू दाई सब कुछ शांत करवाने में कामयाब रहे.
इधर निक्कूदाई की जमीन खिसक रही थी तो इधर उनके बाल सखा नेता प्रतिपक्ष पर भी देहरादून के सहसपुर में सौ बीघा जमीन कब्जाने का आरोप लगा. प्रशासनिक रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है कि दाल में कुछ काला है. वैसे ये पत्नी दीप्ती रावत और लक्ष्मी राणा के नाम पर बताई जाती है. दीप्ती हरक सिंह की धर्मपत्नी हैं लेकिन ये लक्ष्मी कौन है ??? इस बारे में आप लोग खुद ही पता लगवा लें तो ठीक रहेगा. खैर मामला बढऩे पर हरक सिंह ने देहरादून में बाकायदा प्रेस कांफ्रेंस कर आरोप लगाए कि सरकार उनकी जमीन जानबूझकर विवादित बता रही है. उनकी पत्नी की तरफ ये मामला लोकायुक्त के पास भी दर्ज कर दिया गया. लेकिन इसी दिन बीजेपी ने भी प्रेस काफ्रेंस कर हरक सिंह के तमाम दावों को मय प्रमाण के गलत ठहरा दिया है. हरक सिंह प्रेस कांफ्रेंस में आरोप लगाया कि उनके बाल सखा निक्कू दाई बोले तो निशंक के बीच एक गुप्त समझौता था जिसमें एक दूसरे के निजी मसलों को ना छेडऩे की बात तय हुई थी. पर अब निक्कू दाई ने उनकी जमीन वाली बात लीक कर दी है इसलिए उनकी तरफ से भी समझौता समाप्त और अब वो भी निशंक की पोल खोलने जा रहे हैं.
इन सबके बीच कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष यशपाल आर्य पर भी हल्द्वानी में शिल्पकारों के लिए आवंटित जमीन पर कब्जा करने का आरोप है. हालांकि आर्य का कहना था कि ये जमीन उन्हें विभागीय योजना के अनुसार आवंटित की गई थी. इस में गोल मोल जैसा कुछ नहीं है. पर कहने वाले कह रहे हैं कि अब हमारे नेता ही इस खोसला का घोसला टाइप रोल करने लगे हैं तो इस राज्य का क्या होगा खुदा जाने