18 मार्च, 2010

मुठ बोटी क रख


द्वी दिन की हौरी छ खैरी म मुठ बोटीकि रख
तेरि हिकमत आजमाणू बैरी
मुठ बोटी क रख

घणा डालों बीच छिर्की आलु घाम ये मुल्‍क बी
सेकि पालै द्वी धड़ी छि हौरि
मुठ बोटी क रख

सच्‍चू छै तू सच्‍चू तेरू ब्रहम लडै़ सच्‍ची तेरी
झूठा दयबतौंकि किलकारयून ना डैरि
मुठ बो‍टी क रख

हर्चणा छन गौं गुठयार री‍त रिवाज बोलि भाषा
यू बचाण ही पछयाण अब तेरि
मुठ बोटी क रख

सन इक्‍यावन बिटि ठगौणा छिन ये त्‍वे सुपिन्‍या दिखैकी
ऐंसू भी आला चुनौमा फेरि
मुठ बोटी की रख

गर्जणा बादल चमकणी चाल बर्खा हवैकि राली
हवे‍कि राली डांडि़ कांठी हैरि
मुठ बोटी क रख



सार ये है

दो दिन की और है मुश्किल, हिम्‍मत बांध कर रख
तेरी हिम्‍मत आजमा रहा है दुश्‍मन
हिम्‍मत बांध कर रख

घने जंगल के बीच इस देश में भी चमकेगा सूरज
पाले की अकड़ तो बस दो मिनट की है
हिम्‍मत बांध कर रख




सच्‍चा है तू सच्‍ची है तेरी आत्‍मा और तेरी लड़ाई भी सच्‍ची है
झूठे देवताओं की गर्जना से तू ना डरना
हिम्‍मत बांध कर रखना

खो रहे हैं गांव खलिहान, रीति रिवाज बोली भाषा
इनको बचाने में ही अब तेरी पहचान है
हिम्‍मत बांध कर रखना

तूझे सन इक्‍यावन से सपने दिखाकर ये लूट रहे हैं
इस बार पिफर चुनाव में ये आने वाले हैं
हिम्‍मत बांध कर रखना

बादल गरज रहे हैं, तूफान आने को है बारिश होकर रहेगी
ये पहाड़ भी हरे होकर रहेंगे
हिम्‍मत बांध कर रखना


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